के.के. हैब्बर का जन्म सन् 1912 ई. में कर्नाटक के एक छोटे से गाँव कांटिगेरि में हुआ था।

किशोरावस्था में राजा रवि वर्मा के चित्र ‘सरस्वती की प्रतिकृति’ अपने घर की दीवार पर उकेरने से उनमें चित्रकला सीखने का विश्वास उत्पत्र हुआ।
मुम्बई आने के बाद जीवनयापन के लिए हैब्बर ने फोटोग्राफर के यहाँ कुछ समय ‘रीटचिंग आर्टिस्ट’ के रूप में काम किया।
जे.जे. स्कूल ऑफ आट्र्स से डिप्लोमा करके 1939 ई. में इसी संस्थान में अध्यापक नियुक्त हो गये।
के.के. हैब्बर का पूरा नाम ‘कांटिगेरि कृष्ण हैब्बर’ था।
के.के. हैब्बर लोक कला से प्रभावित थे।
के.के. हैब्बर ने अपनी कर्मस्थली मुंबई को बनाया।
के.के. हैब्बर की चित्रकला पर जैन, मुगल, राजपूत शैली का प्रभाव परिलक्षित होता है।
हैब्बर वर्ष 1949 ई. में जूलियन एकेडमी पेरिस में चित्रकला का अध्ययन करने गये।
के.के. हैब्बर के अन्तिम दिनों की चित्रण शैली रेख़ात्मक रही है।
हैब्बर का प्रसिद्ध चित्र ‘मुर्गे की लड़ाई’ (तैल रंग) वर्तमान में चंडीगढ़ संग्रहालय में सुरक्षित है।
के.के. हैब्बर पश्चिम कलाकार पॉल गोंग्वा और पॉल सेंजा से काफी प्रभावित थे।
के.के. हैब्बर को तीन बार ललित कला अकादमी नई दिल्ली से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।
हैब्बर की कला शैली में एक विशिष्ट लयात्मकता दृष्टिगत होती है।
गाँव के त्यौहार के वैभव तथा बहुरंगी लोक-संस्कृति का अमिट प्रभाव हैब्बर की कला पर परिलक्षित होता है।
हैब्बर को भारत सरकार द्वारा 1961 ई. में ‘पद्मश्री’ तथा 1989 ई० में ‘पद्मभूषण’ प्राप्त हुआ।
प्रमुख चित्र- बैगर, कृष्ण द चेरियटर, मार्केट, पीकोक,
एलिफेन्ट, फरेड एट नाइट, द वीणा, कॉक फाइट, हंगरी सोल, वर्कर्स, पाँड, रिक्शा पुलर, द तमाशा फोक डांस, फैस्टिबल इन ए स्लम, फ्लड, द फोरेस्ट, रॉकेट सीरीज आदि हैब्बर के प्रसिद्ध चित्र हैं।